कभी धूप कभी छांव,
कभी ना सर पर छत
तो कभी ज़मीन पर ना टिकें पांव।
कभी रोना तो कभी हंसी,
कभी आज़ाद तो कभी फंसी।
कभी रोते, बिलखते, टूटे हुए दिल,
तो कभी नज़रें जो ढूंढे अपनी मंजिल।
कभी बिखरते हुए रिश्ते,
जो बिके बाज़ार में इतने सस्ते।
तो कभी झिलमिल सितारों की रौशनी से,
सजे हुए बिना कांटों के रस्ते।
बस यूंही, हस्ते रोते नाचते गाते,
दिल में समेटे हुए अपने नाते,
कभी रूखी तो कभी प्यारी सी लगी,
इसी सफर का नाम शायद है ज़िन्दगी।
- Akansha Joshi
An Artistic Soul