जब भी क़लम उठाई है,
कुछ ख्वाईशे, कुछ एहसास,
अपनी बातों से जताई है,
चाहे लोग पास हो, या हजारों मील का हो फासला,
किसी ना किसी के दिल की बात हमने अपने शब्दों में बतायी है…
कभी अपनी खुशीयो पर देखा है किसी और को भी खुश होते,
कभी अपने गमों की कहानी दूसरों से मिलती पाई है,
कुछ दुखों को अपने बांटा है, यहाँ अजनबी भी एक सहारा है,
खुशीयो में भी इन्हीं ने दिनों को संवारा है,
हर दिन कुछ लिख लेते हैं इसी उम्मीद में,
क्या पता आज फिर किसी के मन में कुछ बात आइ हो,
मगर शब्दों की कमी में उनसे बयाँ ना हो पाई हो,
जब भी क़लम उठाई है,
कुछ ख्वाईशे, कुछ एहसास,
अपनी बातों से जताई है।