हाँ मैं आँखे हूँ
जो भावनाओंको करती है बयाँ
भावनाओं का समंदर हूँ
जिसमे न जाने कितनोंका दिल हैं खोया
ख़ुशी में कभी न
अपनी पलकें में झपकती हूँ
गम में तो हर दम मैं
आँसू पलकों में लिपटती हूँ
- रितेश घटमाळे
हाँ मैं आँखे हूँ
जो भावनाओंको करती है बयाँ
भावनाओं का समंदर हूँ
जिसमे न जाने कितनोंका दिल हैं खोया
ख़ुशी में कभी न
अपनी पलकें में झपकती हूँ
गम में तो हर दम मैं
आँसू पलकों में लिपटती हूँ
- रितेश घटमाळे
वाह !