इतनी खूबसूरत नहीं होती मोहब्बत जितनी शायरों ने बना रखी है ,
कोई तोड़ कर नहीं लाता चांद - तारे , ये अफ़वाह किसी ने फैला रखी है ,
हुस्न के ढलते ही ताल्लुक़ खत्म सा हो जाता है ,
ये आशिक़ और है जिन्होंने बटुए में अपनी माशूका की तस्वीर संभाल रखी है,
सफर-ए-इश्क़ में इंतज़ार और धोखा दोनो ही होता है ,
तुमने ख़ामख़ा उसकी पायल संभाल रखी है ,
माना ख़ूबसूरत है वो शक़्स जिसपर तुम मरते हो ,
पर ऐसा भी क्या चाहना कि उसने जान आफ़त में डाल रखी है ,
अगर रखना है उससे राबता तो इज़हार करो मोहब्बत का ,
ये दर्द देती है यार , और तुमने एक तरफ़ा पाल रखी है ।।