सिरहाने क़रीब , जमीन पर कुछ बर्नियां हैं ,
और उन बरनियों में भर रखी हैं बहोत सारी बातें ।
कर लेती हूँ खुद से ही रोज़ थोड़ी देर ,
क्योंकि इन बातों से तुम्हे तो फ़र्क़ ही नहीं पड़ता है ना ।।
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Wah
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Kya baat.
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