कम करती हो बातें
बातों में यह खामोशी
खामोशीे में पीछे छिपी ये हँसी
हँसी से जुड़ी ये धड़कन
धड़कनोंमें ये अल्फ़ाज़
अल्फ़ाज़ जो छिपाये राज
राज जो हैं समुन्दर से गहरे
गहराई में पाये मोती
मोतीओं की बनाई माला
माला जिसमे इश्क़ का धागा
धागा जो टूटे न कभी
कभी न तेरा साथ छूटे
छूटे साथ तो होगा दर्द
दर्द जिसकी न कोई दवा
दवा से परे तेरी दुआ
दुआ में न मांगना मेरी साँस
साँस तो मेरी हो तुम
तुम ही हो मेरी धड़कन
धड़कन जिससे जुडी हैं ये हँसी
हँसी जिसके पीछे है खामोशी
खामोशी जिसमें बातें तेरी हैं कम
कम करती हो बातें…
- रितेश घटमाळे
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अति सुंदर @RiteshGhatmale
नायाब रचना है
YoAlfaaz परिवार में आपका स्वागत है
लिखते रहिए और महफिल सजाते रहिए
धन्यवाद सर
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धन्यवाद
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धन्यवाद
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Bohot hi khubsurat likha hai!
Likhte raniye!
YoAlfaaz welcomed you.