10वीं कक्षा के बाद मैंने शहर में addmission करवाया था तो हर रोज का वहां आना जाना था तो वही उस से मुलाकात हुए थी ।
उसके मिलने से बिछड़ने तक कुछ पलों को लिख रहा हूँ मैं
तेरे शहर में हर रोज का आना जाना था ,
पर जब से तुम्हे देखा था मैंने तब से,
बस तेरे लिए ही तो तेरे शहर आना था ,
तुमसे तो इश्क़ था ही हमें फिर,
तेरे शहर से लाजमी महोबत हो जाना था,
तुम मानो या न मानो जब से तुम्हे देखा था,
तब से सिर्फ तेरे लिए ही तेरे शहर आना था,
तुमको देखते ही मेरी नजरो का लाजमी तुम पर ठहर जाना था
मुझे सिर्फ तेरे लिए तो तेरे शहर आना था
तुम्हारा शहर भी तुम्हारे जैसा था ,खूबसूरत
वो लाल सड़क के बाजार की रौनक
वो पृथ्वीराज चौहान के किले से शहर को देखना,
और फिर उस शहर में होना तुम्हारा,
तो लाजमी था ही तेरे शहर से महोबत हो जाना था,
मुझे सिर्फ तेरे लिए ही तेरे शहर आना था,
जब कभी आता ही तेरे शहर में तो अक्सर उन गलियों से गुजरा करता हूँ जिन गलियो से तुम्हारे साथ गुजरा करता था ,
अब तुम चले गए हो यहां से तो तुम्हारे बिना ये शहर अच्छा नहीं लगता ,
मानो जेसे अब व्यर्थ का यहां आना है ,
अब तेरी यादो को भुलाने के लिए शायद अब मुनासिब तेरे शहर को छोड़ कर चले जाना है,
क्योंकि मुझे तो सिर्फ तेरे लिए ही तो तेरे शहर आना है ।
:-@adhurimahobat