महफ़िल वो ख़ास हो जाती है।
जब गैरों के शोर में तेरे नाम की दरख़ास्त हो जाती है।
महफ़िल से उठ के जाने वालों के लिये ।
थोड़े और देर रुकने की आस हो जाती है।
Shah Talib Ahmed
महफ़िल वो ख़ास हो जाती है।
जब गैरों के शोर में तेरे नाम की दरख़ास्त हो जाती है।
महफ़िल से उठ के जाने वालों के लिये ।
थोड़े और देर रुकने की आस हो जाती है।
Shah Talib Ahmed
Kyaa baat hai gajab
Shukriya shukriya