न जाने ये कैसी प्यास है मुझे
संन्दर पी लिया है आज
फिर भी प्यास अधूरी है, मेरी ।
किसी का हो के भी
अकेला ही हूं में
ऐसी तो न थी फितरत मेरी ।
तेरी तस्वीर सीने से लगा रखी है
दिन में सोया हूं में
अब रात भर रोना बाकी है ।
कैसे बताओ तुम्हे
तुम ज़रूरत नही
ख्वाइश हो मेरी ।