भोर भए मेघा नभ छाए,
मंद मंद पवन भी गीत सुनाए।
शाखाएं हवा में इठलाए,
नदियां भी मस्त बल खाएं।
सावन के बदरा बरस जाएं,
वृक्षों के पात पात धुल जाएं।
डाली डाली पर पुष्प खिल जाएं,
पंछी भी सुर में चहचहाए।
वृक्षों पर सावन के झूले डल जाएं,
गोरी ऊंची पींग बढ़ाएं।
संग मीठे गीत गुनगुनाएं,
सुन के गीत “मनमीत” मुसकाए
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Nicely expressed …feels like nature
amazing
So nicely written!
beautiful