ए पथ के राही,
जीवन की इस राह में
चलना तुझे ही है…!
चलना गर शुरु किया तो,
ठोकर लगना लाजमी है…!
मगर, गिरने से संभलना भी तुझे ही है…!!
ठोकर लगने पर हर बार जमीं नसीब हो, जरूरी नहीं
गर जमीं पर गिरे तो, उठना भी तुझे ही है…!!
पैर भी लड़खडाएंगे, राह भी भरमाएगी
मगर, होसलों को मजबूती देनी भी तुझे ही है…!!