मैं, वो और सामाजिक दूरी…
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एक समय था जब वो सुप्रभात से शुरुआत कर के दिनभर कॉल पे बातें किया करती थी और बाते शुभ रात्री पे ख़त्म होती थी.
अब
एक समय आज है, जहां सुबह और शाम तो पहले जैसी ही होती है पर उसमे वो नहीं रहती, उसकी बातें नहीं रहती, अगर रहती भी है तो बस उसकी यादें…
शायद इसी को सामाजिक दूरी बनाना कहते हैं…
-Adamya Tripathi
जो मित्र बंधु हिन्दी पढ़ने मे असमर्थ है उनके लिए अंग्रेजी संस्करण उपलब्ध है, अंग्रेजी लेख इस लेख के बाद…
English version is available for friends who are unable to read Hindi, English article after this article …