जुल्फें झुमके में तो रोज़ ही फंस जाती हैं,
लेकिन जब ये कमीज़ में अटके तो धड़कनें बढ़ जाती हैं।
मीठी बातों से मीठी बातें हो जाती है
इस तरह वो मुझमें फ़नाह हो जाती है।
वो बेवक्त बेवज़ह मुझसे नाराज़ हो जाती है
तबियत बिगड़े तो वो मंदिर मस्ज़िद को जाती है।
मेरी हर ख्वाइश में वो पहले नज़र आती है
दिल तो धड़कता है पर सांसे उनकी मेरे अंदर जाती है।
और हम करे तारीफ़ उनके हुस्न की
तो वो सीने से लग यूँ पिघल पिघल जाती है।
इस तरह से वो हमारे नज़दीक है
कि बदन से अब तो बस उनकी ही ख़ुश्बू आती है।
जुल्फें झुमके में तो रोज़ ही फंस जाती हैं,
लेकिन जब ये कमीज़ में अटके तो धड़कनें बढ़ जाती हैं।