तुझे जब देखा उस बाद-ए-नौ-बहार में
व्यापारी थे हार गए इश्क़ के व्यापार में
कभी कभी आँखों से यादो के मय पी लेता हुँ
ना जाने कहा छुपा रखा हुँ खुदको दीवार में
इश्क़ दिलो को एक साथ धड़काता है जिस्म में
इश्क़ आँखों से करलीजिये क्या रखा है इज़हार में
सब कुछ मिल गया लेकिन सुकून नहीं मिला
सुन मेरा सुकून तो है सिर्फ तेरे दीदार में
मुसलसल चलती रहेगी ये इश्क़ की हवा
न जाने कब रुकेगी कलम इस प्यार में
अब यादों के दिवार पर सिर्फ दरार है
देख झाक कर मेरी तस्वीर दिखेगी दरार में