बेअल्फ़ाज से जज़्बात मेरे
आज मुझसे ही मेरी सज़ा पूंछे
भटक रहें हैं दर बदर
वो एक आसरा ढूँढें
दे कर तेरा पता, मेंने उन्हें रुख़सत किया
तेरे दरवाज़े खड़े हो कर
वो तुझसे तेरी रज़ा पूंछे
बेअल्फ़ाज से जज़्बात मेरे
आज मुझसे ही मेरी सज़ा पूंछे
7 Likes
Well penned…
1 Like
Thank you
Superb lines… Very nice…
1 Like
amazing interesting post friend
1 Like
Thank you
1 Like
Thank you .
1 Like